Bee Keeping Business Kaise shuru karen | Madhu makkhi Palan Business in Hindi 2022


Bee Keeping Business Kaise shuru karen | Madhu makkhi Palan Business in Hindi 2022



Table of Contents

मधुमक्खी पालन (Bee Keeping ) भारत में ग्रामीण विकास कार्यक्रम के तहत महत्वपूर्ण स्थाई एवं सामाजिक और कृषि सहायक गतिविधि है.

Bee Keeping Business  रोजगार और आय प्रदान करने के साथ-साथ पोषण आर्थिक पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में सहायक है।

 कृषि जलवायु स्थितियों का ज्ञान, विविध वनस्पति फसल के बदलते हुए कृषि पैटर्न, प्रबंधन प्रणाली के साथ उपलब्ध मधुमक्खी के प्रजातियों की संख्या देश में मधुमक्खी पालन व्यापारियों को बदलने में अहम भूमिका निभाती है।

 मधुमक्खी पालन के क्षेत्र में भारत के प्रत्येक राज्य में राज्य सरकार द्वारा प्रशिक्षण व सहायता भी प्रदान किया जाता है।



Bee Honey Keeping Business Investment (Madhumakkhi palan में लागत)

मधुमक्खी पालन में बहुत कम निवेश और कौशल की जरूरत होती है इसलिए मधुमक्खी पालन कारोबार करना आसान है, ग्रामीण, पहाड़ी क्षेत्र में रहने वाले व्यक्ति, जनजाति, बेरोजगार युवा, और किसान इस कारोबार को आसानी से शुरू कर सकते हैं।

यह कारोबार देश की आर्थिक कल्याण व विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है Madhumakkhi palan Business  भारत में सदियों से किया जाता है।



Bee Keeping Beenefit (Madhumakkhi palan के लाभ)

मधुमक्खी पालन निम्न चार प्रकार से ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को रोजगार देने में भूमिका निभाता है:-

1-यह आय सृजित करने की एक गतिविधि है।

2- भोजन और औषधि प्रदान करता है, साथ ही शहद और शहद से बने उत्पाद कीमती होते हैं।

3- यह क्रॉस परागण के माध्यम से कृषि कार्यों में सहायता प्रदान करता है, एवं फसल के उत्पादन में बढ़ोतरी करता है।

4- वन संरक्षण में इसका अत्यधिक योगदान है।

5  किसानों, ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले जनजातीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने में सहायक होता है।



Bee Honey Keeping Business कहाँ शुरू कर सकते हैं।

मधुमक्खी पालन किसी भी ग्रामीण/ पहाड़ी क्षेत्रों में शुरू किया जा सकता है, जिसके लिए बहुत कम लागत की जरूरत होती है।

 साथ ही साथ सरकार द्वारा इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है, एवं आर्थिक सहायता भी दी जाती है।

 जिसके लिए आप हनी मिशन विभाग और Khadi & village industries commission  विभाग से संपर्क कर सकते हैं।



Bee Honey Keeping Business के लिए Scheme-

मधुमक्खी पालन के लिए सरकार द्वारा बहुत सारी योजनाएं हैं।

MSME विभाग द्वारा हनी मिशन के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग के पक्ष में 49.78 करोड रुपए की निधि को सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किया है।

Khadi & village industries commission   के माध्यम से प्रशिक्षण के साथ स्कीम का लाभ भी ले सकते हैं।

MSME के तहत भी इसके लिए लोन प्राप्त कर सकते हैं।



Bee Honey Keeping Business के लिए टूल किट

हनी बिजनेस के लिए जरूरी टूल किट्स:-

स्मोकर, बी वेल , हाईव टूल,  अनकैपिंग चाकू , feeding vessel , आंट वेल्स, बॉक्स आदि



मधुमक्खी पालन शुरू करने से पहले निम्न बातों का डालना जरूरी होगा

मधुमक्खी पालन के संबंध में जरूरी जानकारी प्राप्त करना।

मधुमक्खी की विभिन्न प्रजातियां और छत्ते की संरचना की जानकारी।

Honey Bee की विभिन्न प्रजातियों की जानकारी।

 मधुमक्खी की बनावट उनकी विभिन्न जातियां

भारत में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के हाईव और मधुमक्खी पालन से संबंधित अन्य जरूरी उपकरण।

अलग-अलग सीजन में मधुमक्खी प्रबंधन

मधुमक्खी वाटिका का चयन और इसकी स्थापना कैसे करेंगे?

 रोगों और उसके नियंत्रण उपायों को पहचानना

किट और अन्य असुरक्षा से बचाने के उपाय और सावधानियां

भारत में बीफ्लोरा व नेक्टर और पराग उत्पादन करने संबंधित उपकरण

शहद और उसके उपयोग के तरीके और अन्य उत्पाद।

जंगली मधुमक्खियों से शहद को निकालना और मोम संग्रह करना।

सरकार का सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाएं, बैंकों से वित्तीय सहायता प्राप्त करना।



Bee Honey Keeping Business के लिए फ़ीड

शुगर फीडिंग , सीएफ शीट निर्धारण, और प्रेम की वायरिंग कैसे करेंगे?

 रानी मधुमक्खी पालन और मधुमक्खी प्रजनन का तरीका।

 मधुमक्खी फोरेज पौधों और मधुमक्खी संयंत्र प्रचार।

मधुमक्खी से फसलों को होने वाले फायदे।

मधुमक्खी रोग प्रबंधन

शहद और शहद के उपयोग में गुणवत्ता मानदंड और सावधानी

मधुमक्खी पालन के लिए केवीआईसी की योजनाएं अन्य योजना

मधुमक्खी पालन के लिए कॉलोनी/ स्थान का चयन करना।

मधुमक्खी पालना वास्तव में मानव निर्मित छत्तों में मधुमक्खी द्वारा तैयार किया गया प्रोडक्टस की पैदावार करना है।

 देश की आजादी से पहले महात्मा गांधी ने अपने वृद्ध आश्रम में देश के आजादी के वीरों व अन्य देशवासियों को मधुमक्खी पालन करने का प्रशिक्षण दिया था। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया था कि ग्रामीण क्षेत्र की विकास के लिए मधुमक्खी पालन को शामिल किया जाना चाहिए।

 आजादी के बाद भारत सरकार ने भी इसके लाभ को ध्यान में रखते हुए इस पर जोर दिया, Madhumakkhi palan के कारोबार में लागत भी कम लगता है जिसके कारण छोटे किसान, भूमिहीन व्यक्ति , अशिक्षित बेरोजगार नौजवान इस Business को अपना करके अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

Bee Keeping Business  को दूसरे कृषि कार्य के साथ-साथ भी किया जा सकता है,जिससे आमदनी में इजाफा हो सके,

Bee Keeping Business  स्वरोजगार के अवसर भी प्रदान करती है और इसमें कमाई की काफी संभावनाएं होती हैं।



Madhumakkhi क्या है?

Madhumakkhi एक कीड़ा है जो शहद इकट्ठा करती हैं।

 Madhumakkhi चार प्रकार की होती हैं:-

  1. हिंदुस्तानी मधुमक्खी
  2. चट्टानी मधुमक्खी
  3.  छोटी मधुमक्खी
  4. इसके अलावा विदेशी मधुमक्खी (इतालवी मधुमक्खी)

इसके अलावा भी अन्य कई मधुमक्खियों की प्रजातियां हिंदुस्तान में पाई जाती हैं।

भारत के विभिन्न राज्यों में इतालवी मधुमक्खी का अधिक इस्तेमाल बिजनेस के उद्देश्य से किया जाता है।

भारतीय मधुमक्खी

 इसका विज्ञानिक नाम Apis Cerana Indica है लेकिन आमतौर पर इसे दारूहला, महुन और मावना भी कहा जाता है। यह भारत के सभी क्षेत्रों में पाई जाती है इनका रंग गोरा पीला होता है या अपने छत्ते अंधेरी जगह में जैसे पुरानी इमारतों, जंगल, टूटे खंभों आदि पर बनाती है।

चट्टानों में बने सुराख और दूसरी जगह पर भी शहद के छत्ते बना लेती है इस मधुमक्खी को पुरानी विधि से फालतू बनाकर के देसी ढंग से लकड़ी के बने मानव निर्मित छत्तों में जाती है।

चट्टानी मधुमक्खी

इसे Giant Bee भी कहते हैं। इसका विज्ञानिक नाम Apis Dorsata है मधुमक्खी की यह प्रकार लगभग पूरे भारत में पाई जाती है।

 पहाड़ी क्षेत्रों में यह समंदर की सतह से 1000 मीटर की ऊंचाई तक पाई जाती है।  ठंडे से बचाओ या शहद की तलाश में यह अपनी जगह बदलती रहती है चट्टाने मधुमक्खी के छत्ते की चौड़ाई लगभग 1.5 से 2.1 मीटर और लंबाई 1.2 मीटर होती है।

चट्टानी मधुमक्खी अच्छी शहद जमा करने वाली होती है इनकी एक कॉलोनी से सालाना 40 से 50 किलो तक शहर जमा किया जा सकता है। चट्टानी मधुमक्खी का मिजाज काफी तेज होता है यह छेड़ने वालों पर झुंड बनाकर हमला करती है।



छोटी शहद की मक्खी

इसका विज्ञानिक नाम apis florea है यह पूरे भारत में पाई जाती है लेकिन समंदर की सतह से 335 मीटर से ज्यादा ऊंचाई पर नहीं पाई जाती है।

यह मधुमक्खियां अपनी जगह बहुत जल्द बदलती रहती है इसी लिए इनकी कालोनी एक स्थान पर 05 महीने से अधिक नहीं टिकती। यह मधुमक्खियां शहद जमा करने में बेहतर नहीं होती इनके छत्तों से सालाना सिर्फ 500 ग्राम से 1 किलो तक प्राप्त किया जा सकता है।

इतालवी मधुमक्खी

इसका विज्ञानिक नाम apis mellifera है  यह मधुमक्खी पूरे यूरोप में पाई जाती है इसके बहुत सारी प्रजातियाँ पाई जाती है लेकिन इतालवी नस्ल को सबसे अच्छा माना जाता है।

यह मधुमक्खियां लगभग पूरे हिंदुस्तान में पाई जाती है, इतालवी मधुमक्खी की का व्यवहार हिंदुस्तानी मधुमक्खी से मिलती है यह जर खेज रानी को बार करार रखती है। अपनी जगह बहुत कम ही बदलती है इनका मिजाज नरम होता है अधिक शहद जमा करने वाली होती है।

अब इनका इस्तेमाल हिंदुस्तान में बिजनस के लिए अधिक हो रहा है। इतालवी मधुमक्खी के एक apiary की 50 कालोनियों से लगभग 40 से 50 किलो तक शहद प्राप्त किया जा सकता है।

मधुमक्खी के लिए कॉलोनी का निर्माण

मधुमक्खियां एक समाजी कीड़ा है यह मधुमक्खियां संगठित होकर कालोनियों में अपना जीवन बसर करती है।

 एक छत्ते में तीन प्रकार की मधुमक्खी पाई जाती है :-

रानी

 मजदूर (श्रमिक)

 और ड्रोन अर्थात पुरुष

एक सामान्य कॉलोनी में एक रानी 40,000 से लेकर 100000 तक मजदूर और कुछ सौ ड्रोन मधुमक्खियां होते हैं।



मधुमक्खी के विशेषताएं-

रानी मधुमक्खी पूरी कॉलोनी की मां होती है, पूरी कॉलोनी में अकेली यही स्त्री मधुमक्खी होती है। जिसकी जिम्मेदारी अंडा देने की होती है।

 मौसम के के हिसाब से यह हर दिन लगभग 2000 तक अंडे दे देती है।  अंडा देने पर बैठने से पहले एक से लेकर 6 मर्तबा तक नर के साथ अपना संबंध बनाती है इसके बाद छत्ते में लौटकर मजदूर, रानी, या ड्रोन के खाने में अंडा देना प्रारंभ करती है।

रानी मधुमक्खी दो प्रकार के अंडे देती है:-

 एक फर्टिलाइज

दूसरा अनफर्टिलाइज्ड

 फर्टिलाइज अंडों से रानी मधुमक्खी और मजदूर मक्खियां पैदा होती है

 अनफर्टिलाइज्ड से नर यानी डरोन मधुमक्खी पैदा होते हैं।

श्रमिक मधुमक्खी

ऐसी स्त्री मधुमक्खी होती है जो अंडे देने के काबिल नहीं होती वे अन्य की प्रकार के कार्य करती हैं। एक अंदाजा के अनुसार यह अपनी जीवन 1 चम्मच के बराबर शहद जमा कर लेती है। शहद इकट्ठा करना भी श्रमिक मधुमक्खी का ही काम है।

ड्रोन मधुमक्खी

इस मधुमक्खी का काम केवल रानी मधुमक्खी के साथ जोड़ा बनाना है पैदा होने के 15 दिन बाद यह जोड़ा बनाने के काबिल हो जाती है। एक कालोनी में इसकी संख्या कुछ हजार तक होती है। इनका डंक नहीं होता।

मधुमक्खियों के विकास मधुमक्खियों के विकास के चार चरण होते हैं-

 पहला अंडा, दूसरा लारवा, तीसरा प्यूपा चौथा युवावस्था

मधुमक्खियों की पहचान कैसे करें?

 मधुमक्खी के प्रकार को कुछ विशेषताओं के आधार पर आसानी से पहचान सकते हैं:-

पुरुष मधुमक्खी की आँखें सर के पद होती है, रानी और मजदूर मधुमक्खियों में यह काफी दूर होती है।

नर का पेट काले रंग का होता है उसकी शक्ल चकोर होती है उसके पेट का किनारा कुंद होता है नर में डंक भी नहीं पाया था।

 मजदूर मधुमक्खियों का पेट धारीदार होता है उसकी शक्ल त्रिकोणिय होती है सर के आखिरी किनारे पर बारीक सा डंक पाया जाता है।  

रानी मधुमक्खी के चेहरे का रंग गहरे भूरे से लेकर गहरे काले रंग का होता है उसकी शक्ल त्रिकोणिय होती है उसका पेट लंबाई में मजदूर मधुमक्खी से बड़ा होता है आखिर में तलवार नुमा डंक होता है।

रानी मधुमक्खी के पर की बनावट मजदूर मधुमक्खियों से छोटी होती है क्योंकि मजदूर मधुमक्खियों की तुलना में रानी का पेट बड़ा होता है पुरुष रानी से छोटा लेकिन मजदूर मधुमक्खियों से बड़ा होता है।

मधुमक्खी छत्ता क्या है?

 मधुमक्खियों का छत्ता या घोंसला बराबर समतुल्य होता है यह अच्छी प्रकार से मोम से बना होता है।  और उसके खाने षटकोण शक्ल के होते हैं यह खाने एक दरमियानी दीवार के दोनों तरफ फैले हुए होते हैं।

 सामान्य तौर पर शहद छत्ते के ऊपरी हिस्से में बाहर की तरफ इकट्ठा किया जाता है। नीचे में फूलों के जीरो को इकट्ठा किया जाता है उसके बाद मजदूर मधुमक्खियों के भरण पोषण का खाना होता है।



मधुमक्खियों द्वारा तैयार किया गया प्रोडक्ट –

शहद-

 शहद एक मीठी द्रव चीज है जिसे मधुमक्खियों द्वारा तैयार किया जाता है।  मधुमक्खियां फोलों से उनका रस चूस कर जमा करती हैं और फिर उस पर कुछ कार्य करके उसे गाढ़ा बना देती है।

 शहद छत्ते में भविष्य के प्रयोग के लिए जमा किया जाता है।  सामान्य तौर पर शहद के छत्ते में शहद जमा करने, शहद को सील करने में दो-तीन हफ्ते लगा देती हैं।

 शहद का मजा उस क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधे, मौसम और फूलों के अनुसार पाया जाता है शहद में बड़ी संख्या में चीनी, खनिज पदार्थ, हयातीन, एंजाइम्स और फूलों के जीरे पाए जाते हैं।

शहद एक पौष्टिक आहार के रूप में प्रयोग किया जाता है, स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है और आयु को भी बढ़ाता है इसके अलावा शहद के अन्य इस्तेमाल भी हैं।

शहद के अंदर भूख बढ़ाने की विशेषताएं पाई जाती हैं, खाना हजम करने में सहायक होता है इसमें लोहा, कैल्शियम जैसे खनिज पदार्थ पाए जाते हैं जोकि स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है।

विभिन्न प्रकार की मिठाइयों और खाने में इसका प्रयोग किया जाता है, शहद विभिन्न प्रकार की बीमारियों में दवा के तौर पर प्रयोग होता है, विशेषकर शुगर, उल्टी, पेट, जिगर की बीमारियों में काफी लाभदायक है।

 सर्दी, जुकाम, खांसी में शहद साथ दूसरे चीजें जैसे अदरक मिलाकर इस्तेमाल करने से काफी लाभदायक होता है ।

 इसके अलावा शहद का प्रयोग ब्यूटीशियन कॉस्मेटिक वस्तुओं में प्रयोग होता है।

मोम

यह मजदूर मधुमक्खियों द्वारा बनाई जाती है जिसे मधुमक्खियां wax gland से शहद पीने के बाद निकालती हैं।

 मोम का प्रयोग पॉलिश बनाने, खाने की वस्तु में ,  दवा बनाने, कॉस्मेटिक बनाने, आइसक्रीम बनाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है।



मधुमक्खी के बॉक्स का निर्माण-

मधुमक्खी को पालने केलिए एक बॉक्स (छत्ता ) तैयार किया जाता है। यह लकड़ी से बना होता है जो सन्दुक की तरह होता है।

इस बॉक्स में 9 भाग होते हैं।

जरूरी वस्तुएं-

धुवां स्मोकर –

धुवां स्मोकर का प्रयोग मक्खियों को धुवां देकर काबू में करने के लिए किया जाता है। जो टीन का बना होता है। जिसमें उपले डाल कर धुवां पैदा किया जाता है।

Hive tool-

यह चिपटा लोहे का बना होता है। इसका इस्तेमाल छत्तों से फ्रेम को उठाने, गोंद हठाने के लिए किया जाता है।

ओवर आल

मोठे कपड़ों से बना लिबास होता है मधुमक्खी के डंक से बचने के लिए इसका प्रयोग होता है।

निकाब-

नकाब एक कपड़े का बना होता है वह पर टोपी सिली रहती है सामने की तरफ सूती कपड़े के महीन जाली लगी होती है, छत्ते के जांचने के दरमियान मक्खियों के डंक से बचने के लिए से पहना जाता है।  ताकि चेहरा और सर सुरक्षित रहे।

दस्ताने

दस्ताने यह मोटे कैनवास या चमड़े के बने होते हैं उन्हें छत्ता के निरीक्षण के दरमियान पहनते हैं।

ब्रश-

ब्रश का इस्तेमाल छत्ते से शहद निकालने से पहले मक्खियों को अलग करने के लिए किया जाता है।

बास्केट

बास्केट या थैली की तरह जाली में एक लंबा हेंडील लगा होता है इसका प्रयोग मक्खियों को पकड़ने के लिए किया जाता है।

शुगर फ़ीडर  

शुगरफीडर- आमतौर पर यह 1 किलो के बराबर का एक खाली डब्बा या शीशे का बर्तन होता है जिसके ढक्कन में सुराख होता है शुगरफीडर का इस्तेमाल मक्खियों को फूलों के रस की कमी के मौसम में चीनी की चाशनी खिलाने के लिए किया जाता है।

Queen Cage

 इसका इस्तेमाल रानी मक्खियों को एक जगह से दूसरे स्थान पर परिवर्तित करने के लिए किया जाता है।

Queen sell protector

क्वीन सेल protector ऐसी रानी मक्खी जो किसी ऐसी कॉलोनी में रहने की सुरक्षा करने वाला खाना लाई गई हो जिसमें रानी मक्खी ना हो उसे और मक्खियों से अलग स्थान में तब तक रखा जाता है कब तक कि उसे दूसरी मक्खियां अपना न ले।  इस खास खाने को Queen sell protector कहा जाता है।  

Queen Gate

बनाया गया एक ऐसा छेद होता है इसकी लंबाई चौड़ाई 1×0.4 सेन्टी मीटर होती है जिससे केवल श्रमिक मक्खी ही जा सकती है रानी  मक्खी भाग नहीं सकती ।

खुरपी

खुरपी का इस्तेमाल छत्ते से मोम को अलग करने और फालतू चीजों को साफ करने के लिए किया जाता है।

छात्रों को लगाते समय एक माहौल में 50 से लेकर 100 शब्दों को रखा जा सकता है जिनमें 2 से 3 मीटर की दूरी पर लगाना चाहिए और दो लाइनों का गदर में के बीच की दूरी 306 मीटर होना चाहिए ताकि मक्खी पालने वाले को अपने काम में आसानी हो 36 सेंटीमीटर ऊंची रखना चाहिए कॉलोनी में फालतू पानी हो पूरब की तरफ हो ताकि अपना काम करो मरने वाले रास्ते पर कोई रास्ता खेलने का मैदान हो गए ना हो

जब शहद के आमदनी कम हो जाती है या धीमी पड़ जाए ऐसे समय में शहर से भरे फिल्मों के 36 हटा लेना चाहिए ताकि मक्खियां फूलों का रस इकट्ठा करते रहें यह जरूरी है कि शहद निकालने का काम जारी रहना चाहिए नहीं तो कमजोर कॉलोनी को मजबूत करने के जरिए लूटे जाने का काम शुरू हो जाएगा



Honey Processing Method (शहद कैसे निकालें)



जब शहद की रवानी कम हो जाए उस समय शहद से भरे फ़्रेमों को शहद के छत्ते से हटा लेना चाहिए।

जब तक मक्खियाँ फूलों का रस इकट्ठा करती रहें जरूरी है की शहद निकालने का काम जारी रखना चाहिए।

Honey Processing करने से पहले उसे किसी प्लास्टिक या धात की बनी छलनी से छान लेना चाहिए। उसके बाद उसे किसी बड़े मुंह वाले बंद बर्तन में जमा कर ले।

 इस काम के लिए सबसे अच्छा बर्तन शीशा या फूड ग्रेड प्लास्टिक का बना होता है।

शहद को 15 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड टेंपरेचर पर 2 साल तक रखा जा सकता है।

शहद को बर्तन में रखने के दो-तीन दिन बाद मोम और फूलों के जीरों के छोटे छोटे टुकड़े ऊपरी हिस्से पर तैरने लगते हैं उन्हें किसी करछी से हटा दें।  जमा करने का शहद का रंग गहरा हो जाता है।



शहद की क्वालिटी (Honey Standardization)

शहद कई रंगों का होता है सूरजमुखी, लीची वाले शहद का रंग गहरा सुनहरा, पीला और हरा पन के लिए भूरा होता है।

 इस तरह बबूल के शहद का रंग सफेद और शीशम बेरसेम के शहद का रंग गहरा भूरा होता है।



Shehad ki processing

शहद की प्रोसेसिंग सही से करनी चाहिए ,  सही तरीका से उसे जमा किया जाना चाहिए नहीं तो उसमें खमीर उठ सकता है उसमें अल्कोहल या मैथिल farfural बन जाएगा.

 यह शहद हानिकारक हो सकता है इसीलिए शहद में मैथिल farfural व अन्य की जांच के बाद ही एक एगमार्ग लेवल दिया जाता है।

Bee Keeping Business

अच्छे प्रकार से प्रोसेसिंग क्या हुआ और पैक किए गए शहद को क्षेत्रीय मार्केट में सेल किया जा सकता है,  या फिर उसे ग्रामीण कोआपरेटिव के माध्यम से बचा सकता है।

 या फिर आप ऑनलाइन पैकिंग कर के सेल कर सकते हैं।

 होलसेल में अपने आसपास की मार्केट, मॉल में सेल कर सकते हैं।

 शहद के लिए कुल लागत को ध्यान में रखकर के दाम निर्धारित किया जा सकता है।

 हर डब्बे पर लगे लेवल पर लॉट नंबर, पैकिंग की तिथि, एक्सपायरी डेट, हाल का वजन, इसकी कीमत जरूर लिखा जाना चाहिए।

 निकालते समय जरूरी सामान
  •  ब्रश,
  •  स्टोव/ गैस चूल्हा
  • मॉम हटाने वाला चाकू
  •  ड्रिप्ड ट्रे
  • स्टील का बना कनस्टर
  •  हनी एक्सट्रैक्टर (खींचने वाला सामान)
  •  छलनी
  • शीशे का बर्तन
  •  शहद का छत्ता



शहद निकालने से पहले क्या करें?

कॉलोनी में अच्छी तरह धुआं देने के बाद शहद के छत्ते को कालोनी से बाहर निकाले।

 शहद के छत्ते को हिला कर उससे चिमटी मक्खियों को ब्रश के माध्यम से अलग हटा लें।

 कनस्टर में रखकर ले जाए,  मॉम अलग करने वाले चाकू लेकर उसे उबलते हुए पानी में डालकर गर्म कर ले।

 छत्ते के खाने में गर्म चाकू डालकर चाकू को घुमाकर खानों के मोम के सिल को निकाल ले।

 उसके बाद छत्ते निकालने वाले में शहद के छत्तों को आमने सामने रख दें।

 एक तरह से शहद निकालने के बाद छत्तों को उलट कर दें ताकि दूसरे साइड से भी से निकाला जा सके।



निकाले गए शहद को शुद्ध करने की प्रोसेसिंग हेतु जरूरी सामान

 इसके लिए जरूरी वस्तु

 अलमुनियम का बड़ा बर्तन

स्टील का छोटा बर्तन

तिपाई

थर्मामीटर

स्टोव या गैस चूल्हा

 पानी

करछी

अल्मुनियम के बड़े बर्तन को लेकर उसमें पानी भरदे ।

तिपाई को उसके अंदर रखकर बर्तन को स्टोव पर रखें।

तिपाई पर स्टील के बर्तन को रखकर उसमें छने शहद को डालें।

स्टोव को जलाकर पानी को 60 डिग्री सेंटीग्रेड तक गर्म करें।

 आधे घंटे तक शहद को 60-65 डिग्री टेंप्रेचर करें।

अब चूल्हा बंद करके अल्मुनियम के बर्तन को जमीन पर उतार दे।

शहद की ऊपरी हिस्से पर आने वाले झाग को करछी से निकाल दें, फिर शहद को चीज क्लॉथ से छान कर कांच के बर्तन में पैक कर दें।



How to sell Honey? (Bee Keeping Business Process)

शहद को कई प्रकार से सेल कर सकते हैं।

लोकल मार्केट में।

क्षेत्रीय मार्केट में होल सेलरों को

Online E-Commerce website के माध्यम से sell कर सकते हैं।



How to buy Bee Keeping Business Material?

अपने राज्य के सरकारी एवं प्राइवेट एजेंसी से मक्खी पालन के समान खरीद सकते हैं।

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