Fish Farming Business Plan in Hindi | मछली पालन योजना बिहार 2022

Fish Farming Business Plan in Hindi | मछली पालन योजना बिहार | मत्स्य पालन योजना बिहार | मत्स्य पालन प्रशिक्षण ,मछली पालन लोन 2021 बिहार | Macchli Palan business

Fish Farming Business Plan in Hindi

मछली का कारोबार दो प्रकार से कर सकते हैं।

  1. खाद्य मछली पालन Business
  2. सजावट वाली मछली पालन Business

मछली का पालन का कारोबार / Business बड़ा ही लाभदायक हो सकता है।

 क्योंकि यह लगभग 4-6 माह में तैयार हो जाती हैं, 3 से 4 टन प्रति हेक्टेयर की दर से आप इसका उत्पादन कर सकते हैं।  मछली पालन का व्यवसाय को कामयाब बनाने के लिए आपको उचित प्रबंधन के साथ-साथ सभी आवश्यक बातों पर ध्यान रखना होगा।

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मछली फ़ार्मिंग दो प्रकार से कर सकते हैं।

  • तालाब/ Pond
  • Biofloc का निर्माण

तालाब का निर्माण-

मछली पालन के लिए तालाब का निर्माण 1.5 से 2.5 मीटर गहराई होनी चाहिए इससे अधिक एक कम गहरा न हो।

तालाब का आकार अक्सर भारत में पाए जाने वाले तालाब आयताकार आकार में बनाए जाते हैं, और यह देखने में ही खूबसूरत लगता है.

तालाब में बीज संचय से पहले मिट्टी की गुणवत्ता का परीक्षण करना बेहतर होता है।

और तालाब में सीड किसी प्रमाणित हेचरी से डालनी चाहिए ।

 तालाब की मछलियों का उचित उपचार किया जाना जरूरी है, पानी का उचित प्रबंधन भी जरूरी है ताकि पानी का उचित प्रबंधन बना रहे।

तालाब में ऑक्सीजन का स्तर उचित बनाए रखने के लिए उचित मात्रा में पानी होना चाहिए।

मछली के लिए प्रोटीनयुक्त फ़ीड दिया जाना चाहिए।

मछलियों का पालन करते समय मछलियों की प्रजातियों का चयन ध्यान से करना चाहिए, एक साथ ऐसी दो प्रकार की मछलियां का प्रयोग ना करें जो आपस में एक दूसरे को नुकसान पहुंचाएं।

मछली फ़ार्मिंग बिजनस करने से पूर्व अपने राज्य के Fisheries Department से संपर्क कर सकते हैं। या अपने आस-पास के किसी Biofloc फार्मर से प्रशिक्षण ले सकते हैं।

फ़ार्मिंग से पूर्व प्रशिक्षण अवश्य प्राप्त कर लें।

Biofloc का निर्माण

Fish Farming की एक नई विधि है, जिसमें सिमेन्ट से या त्रिपाल आदि से tank बनाए जाते हैं। जिसकी 04 मीटर या अधिक चौड़ाई होती है, 1.5 या इससे अधिक गहराई होती है।

जिसको बनाने में 18 से 25 हजार प्रति Biofloc खर्च  आता है, 1 साल में 2 बैच ले सकते हैं।

Biofloc किसी भी स्थान पर बना सकते हैं इसमें पानी की आवश्यकता तालाब की तुलना में बहुत कम पड़ती हैं, फीडिंग में भी लागत कम आती है।

Biofloc Fish Farming संबधित अधिक जानकारी के लिए अपने राज्य के Fisheries Department से संपर्क कर सकते हैं। या अपने आस-पास के किसी Biofloc फार्मर से प्रशिक्षण ले सकते हैं।

बाढ़ की स्थिति में मछली पालन प्रबंधन

बाढ़ की स्थिति में मछली पालन प्रबंधन संबंधित जरूरी ध्यान देने वाली बातें-

जहां पानी का धारा का बहुत ज्यादा हो ऐसी जगह तालाब का निर्माण ऐसी जगह न करें।

 तालाब निर्माण के लिए बांधों की ऊंचाई का निर्धारण पिछले 50 वर्ष की बाढ़ की स्थिति का अनुमानुसार करें।

ऊंचाई अधिकतम जल स्तर से 1 मीटर ऊंचा होना चाहिए,

 चूहों के द्वारा बनाए गए छिद्र बांधों को बरसात में काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं इसलिए इसको बंद करने पर विशेष ध्यान दें।  बरसात के दिनों में तालाब का पानी निकालने और लाने के लिए उचित वेवस्था होनी चाहिए।

क्षतिग्रस्त बांध के मरम्मत पर विशेष ध्यान दें, बाढ़ ग्रस्त इलाका के मछली फार्मर बरसात से पहले तालाब का बांध के चारों तरफ बांस का खूटा लगाकर कम से कम 4 फीट ऊंचा जाल लगा दें तथा जाल के निचले भाग को अच्छी तरह से दबा दें।

 बाढ़ के समय मछलियों को सुरक्षित तालाब में रखें, ज्यादा खतरा होने पर बरसात से पहले तालाब खाली कर दें।

 मछली पालक को निश्चित तौर पर मौसम पूर्वानुमान विभाग द्वारा जारी सूचनाओं की जानकारी भी रखना जरूरी है, ताकि होने वाले नुकसान से तालाब से बचाया जाए।  बाढ़ इलाके के तालाब में नाव जरूर रखें।  साथ ही तालाबों के क्षतिग्रस्त होने की सूचना विभाग को भी जरूर दें।

 स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि/ प्रखंड स्तर के पदाधिकारी / जिला स्तरीय पदाधिकारी से संपर्क बनाए रखें किसी भी तरह की घटना होने पर विभाग को जानकारी जरूर दें।

तालाब का प्रबंधन –

मत्स्य पालन के लिए सलाह दी जा रही है कि तालाब ऊंची स्थान पर करें, बाढ़ वाले क्षेत्र में जहां पानी का बहाव कम हो ऐसे स्थान का चयन करें।

गर्मी के मौसम में तलाब का उपचार के लिए रासायनिक की अनुपलब्धता के लिए जल की गुणवत्ता बनाए रखें।  इस समस्या से निपटने के लिए उपाय इस प्रकार कर सकते हैं:-

 इस स्थिति से निपटने के लिए किसानों को पानी की गहराई 1.5 मीटर से अधिक रखना चाहिए।

 जल गुणवत्ता बनाए रखने के लिए तालाब में 250 किलोग्राम चूना और 500 ग्राम पोटेशियम परमैग्नेट प्रति हेक्टेयर प्रतिमाह का प्रयोग करें।

 तालाब में पानी के रंग को हल्का हरा बनाए रखें।

 गहरा हरा होने पर तालाब में साफ पानी डालें।

 मछली की संख्या कम कर दें ताकि पानी की गुणवत्ता और मछली का विकास और स्वास्थ्य पर बुरा असर न पड़े।

Fish Feeding (मछली फीड)

मछली के लिए feed अपने आसपास के बाजार से खरीद सकते हैं, साथ ही आप स्वयं भी घर पर फ़ीड तैयार कर सकते हैं।

 मत्स्य पालक को स्वयं तैयार किया गया फ़ीड का उपयोग करने की सलाह मत्स्य विभाग द्वारा दी गई है।

मछली के लिए फ़ीड तैयार करना-

फ़ीड को तैयार करने के लिए मत्स्य पालक स्थानीय बाजार में उपलब्ध सामग्री जैसे खली, अपशिष्ट अनाज, चावल की भूसी, खनिज मिश्रण आदि का उपयोग कर सकते हैं।

100 किलोग्राम फिश फीड तैयार करने के लिए 40 किलोग्राम खली, 19 किलोग्राम अपशिष्ट अनाज (पिसा हुआ), 40 किलोग्राम चावल की भूसी और 1 किलोग्राम खनिज मिश्रण को ठीक से मिला कर तैयार करें।

मछली की पाचन शक्ति को बढ़ाने के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध फ़ीड सामग्री का उपयोग करने से पहले उबाल लेना चाहिए।

मछली के पकड़ने व विपणन प्रबंधन-

मछली को पकड़ने के लिए स्थानीय मछुआरे या परिवार के सदस्य जिनके स्वास्थ्य की स्थिति सही हो उन्हें अपने तालाब में मछली पकड़ने के काम में लगा सकते हैं।

 अगर स्थानीय मछुआरे /परिवार के सदस्य उपलब्ध नहीं है तो मछली पकड़ने के लिए एकल उपयोग उपकरण का उपयोग करें।

 जो एकल मछुआरे द्वारा संचालित किए जाते हैं जैसे गिलनेट, फाँसजाल, कॉस्टनेट/ भेरकाजाल आदि का प्रयोग कर सकते हैं।

Bihar Fish Farming House-

फिश फ़ार्मिंग संबंधित आप बिहार मत्स्य विभाग के ऑफिशियल वेबसाइट के माध्यम से सहायता प्राप्त कर सकते हैं।

या पाने राज्य के मत्स्य विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

बिहार के लगभग सभी जिलों में फिश फॉर्म उपलब्ध है जहां से fish farming business शुरू करने के इच्छुक संपर्क कर सकते हैं।

 फिश फार्म संबंधित विवरण जाने के लिए ऑफिशियल वेबसाइट पर विजिट कीजिए जिसका लिंक दिया जा रहा है।

Fish Businessman के लिए बेचने की व्यवस्था-

मछली की बिक्री स्थानीय बाजार में करें या फिर आप ट्रांसपोर्ट के माध्यम से देश के विभिन्न स्थानों पर भी एक्सपोर्ट कर सकते हैं।

हॉलेसेल में मछुआरों को भी दे सकते हैं जो स्थानीय बाजार में बेचते हैं।

मछली बिक्री हेतु मार्केट और अवसर को देखते हुए मात्रा में पकड़े,  खपत कम हो तो मछली को कम मात्रा में पकड़ें, मांग बढ़ने पर अधिक मात्रा में पकड़ सकते हैं।

मछलियों का प्रकार –

देश में लगभग 72 से अधिक पर प्रजाति की मछलियां पाई जाती है।

कुछ मछलियों के नाम इस प्रकार है:-

 रोहू, केतला, नैनी, कॉमन कार्प, सिल्वर कार्प, तिलापिया, बोआरी, मागुर, सिंघी, कवई, पोठी, टेंगरा, खेसरा, मोया, सूहीया, हिलसा, धवाई, ग्लास फिश, कोटारी, डेंडुआ, सिलटोका, करौनचर, थूथूनहिया, भगन, बाटा, रेबा, गुर्दा, चलवा, सिधरी, दरही, बघूआ, बाघा, नकाती, नटवा, पतारा, जलकपुर, हुनगरा, रीटा, सीलूनड, गलफूलानी, बेंग मछरिया, कौवा, पंगास, बाम, जाया, केनवची, सुमहा, भोला, सौर, चनागा, गिरई, रैया, बुल्ला, आदि मछलिया के नाम हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में नाम अलग हो सकता है।

Decorative Fish Farming (सजावटी मछली )Business Ideas-

अक्सर लोगों को घर पर मछलियां पालना शौक के तौर पर अच्छा लगता है, अक्सर लोग रंग बिरंगी मछलियों को घर का सदस्य मानते हैं, और इसमें अपना गुडलक भी तलाश करते हैं.

 घर में रखने वाली मछलियां में ज्यादा पॉपुलर है गोल्डफिश, बाजार में इसकी कीमत 2500/ से 28000/ रुपये तक जाती है।  इसलिए बाजार में गोल्डफिश की मांग बहुत अधिक है।

इस कारोबार को शुरू करने के लिए एक लाख से 2.5 लाख रुपये तक लगाकर Business शुरू कर सकते हैं।

जिससे महीने में एक से दो लाख रुपये तक कमा सकते हैं।

Decorative Fish Farming Business में लागत-

सजावटी मछलियों की Farming और Business शुरु करने के लिए आपको दो से 2.5 लाख तक खर्च करना पड़ सकता है।

 जिसके लिए लगभग 50000/ रुपये 100 वर्ग फीट के एक एकवेरियम पर खर्च करना होता है।

 और लगभग इतने रुपए अन्य सामान के लिए खर्च आता है।

इसके अलावा अनेक प्रजातियों की मछली सीड पर खर्च करना पड़ता है।

जिसे ₹100 से ₹500 प्रति पीस लेना पड़ता है, साथ ही मछली खरीदने में फीमेल और मेल का अनुपात का ध्यान रखना पड़ता है, इसका अनुपात 4:1 रखा जाता है।

सजावटी मछली का प्रकार-

अलग-अलग मछलियों की प्रजाति जैसे गोल्डनफिश, अरवान, चाइनीस फ्लावर, इंडियन फ्लावर हॉर्न ,डिस्कन और पेस्ट कुछ मुख्य मछलियां हैं।

सजावटी मछली की सीड चेन्नई, कोलकाता, चीन, हांगकांग से मंगाए जाते हैं इसी लिए यह कुछ महंगी होती है।

 जिसे आप भारत में उपलब्ध डीलरों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं इनमें से सबसे महंगे गोल्डनफिश, अरवान होती है, 28000/ रुपये से भी अधिक इसकी कीमत होती है।

4 से 6 महीने के बाद शुरू करें

 सीड डालने के बाद 5-6 महीने में इन्हें बेचा जा सकता है, लेकिन फार्मिंग करते समय एक एकवेरियम में केवल एक ही प्रकार के मछली रखी जाए और आवश्यकतानुसार इन मछलियों को फ़ीड डालें।

प्रति दिन इनकी फीडिंग का अच्छा ख्याल रखें।

इन मछलियों को आप विभिन्न ने मार्केट में या ऑनलाइन मार्केट बेच सकते हैं।

Fish Seed Form in Bihar

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